“
माँ मुझे गले से लगा ले चरणों मे जगह दे आँचल सुला दे और मुझे क्या चाहीये।।
माँ ढूध तेरा अमृत
आशीष मेरी ढाल प्यार तेरा जहां
और मुझे क्या चाहिये।।
माँ मैँ तेरी सेवा करूँ
मूरत भगवान की तुझमे
देखा करूँ मुझे
और क्या चाहिये।।
लम्हा लम्हा
तेरे ही अरमानो को जिया करूँ
तेरे ही लम्हो की जिंदगी
पला बढ़ा कोई गिला ना शिकवा
करूँ और मुझे क्या
चाहिये।।
नौ माह तेरी कोख ने पला
हर दुःख पीड़ा का पिया विष हाला
”