“
माँ का पहला रूप (शैल पुत्री जी)
रचना -
माता तीनों लोक की, शैलसुता है नाम ।
करुणा के सागर तुम, भक्त्त तेरे श्रीराम ।।
भक्त्त तेरे श्रीराम, तुम हो सहारा सबका ।
हर लेती तुम सब पीड़ा, जब भजूँ नाम तेरा ।।
सेवक रहे यशस्वी अब, तुम वरदान देना ।
रूप तेरे बहुतों पर, तुम हमारी माता।।
मनोज
”