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क्यों...
क्यों कैद रहे...
क्यों कैद...
“
क्यों कैद रहे किसी पिंजरे में तू
इंसान,जब तू खुद की आदतों का ही गुलाम है।
आजाद कर खुद को इन आदतों से जो जीवन में अभिशाप हैं।
@विनीता सिंह तोमर
”
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