STORYMIRROR

कुछ ज़ख्म...

कुछ ज़ख्म अपने ही सिला करते हैं,, गहरे हो जायें ज़ख्म तो छिपा देते हैं महफूज कब तक हम रहें हम तो सिर्फ तुम्हें पढ़कर ही जिया करते हैं लौटा दोगे सारी खुशियां तुम हमें जिसमें हम अपनी खुशियां ढूँढा करते हैं

By Hardik Mahajan Hardik
 51


More hindi quote from Hardik Mahajan Hardik
1 Likes   0 Comments
1 Likes   0 Comments
1 Likes   0 Comments
1 Likes   0 Comments
1 Likes   0 Comments