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कसम भी खाते...

कसम भी खाते हो , धोखा भी खाते हो हमने तो सुना है कि , भाव भी खाते हो वहां दूर एक कोने में "गम" पड़ा हुआ है देखते हैं कि आप उसे अब कब खाते हो

By कवि हरि शंकर गोयल
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