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" क्रोध...

" क्रोध धधकती हुई अग्नि है, कटुवचन इसके बढ़ाने को, घृत का और मृदु वचन (भाषण) इसे बुझाने को जल का काम करते हैं। इस वास्ते संयमी पुरुष को सदैव मृदुभाषी व शान्त भाव होना चाहिए।"

By Neeraj pal
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