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" कर्म ही...

" कर्म ही हमारे जीवन का ताना-बाना है, जो साधक सच्चे गुरु को पाकर अपने कर्म को सुधार लेते हैं, वही महापुरुष कहलाते हैं, वही सच्चे सुख के अधिकारी होते हैं।"

By Neeraj pal
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