“
कोई शिकवा तो जरूर था तुमसे
तू मुस्कुराया तो मैं भूल गई
मुझे नहीं करना था कोई इकरार बिक़रार
तूने गले से लगाया तो कबूल गई
मैंने सोचा था जलाऊंगी तड़पाउंगी दिनभर
मेरी लाली बिंदिया फिजूल गई
दूर रहना मिलने जाओ तो मम्मी ने कहा था
बाहों में आना नही था पर मैं झूल गई
#शर्माजी के शब्द
”