“
किसी सहेली ने पूछा हमसे गर्मी का क्या आलम है,
हमने कहा मत पूछो सूरज दादा हो रहे बड़े गरम हैं,
नदियां बह रही तन से, मेकअप का बज जाता है बैंड,
कौन बचाए तपती धूप से मेरे गोरे रंग का हो रहा है ऐंड,
हाय रे सलोने रूप पर लग गई है गर्मी की नजर,
पर मैं भी कम नहीं मेकअप करने में ना छोडूंगी कोई कसर।
”