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किस किस को...

किस किस को क्या क्या हिसाब दूँ मौला, इंसान हूँ, कैसे वही की किताब हो जाऊं। जवान होना अजाब सा हो गया मुझको, सोचता हूं तौबा करके फिर छोटा नवाब हो जाऊं। #शर्माजी के शब्द

By प्रवीन शर्मा
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