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खुशियां भूल...

खुशियां भूल गई ऐसे मेरे घर का रास्ता मानो उनसे हो मेरी बगावत, आज ना जाने कितने दिनों के बाद ज़िन्दगी में, आई है कोई बशारत, पैगाम आया उसका जिसके वापस आने की कोई उम्मीद न बाकी थी, उसके वापस आने से शायद जुड़ जाएगी टूटे हुए ख़्वाबों की इमारत। मिली साहा

By मिली साहा
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