STORYMIRROR

खुद पर ही...

खुद पर ही नहीं रहा जब विश्वास तो क्या कर लेंगे ये मन्नत के धागे, ये ज़िन्दगी भी हो चुकी अब लाचार, मेरी किस्मत के लिखे के आगे, मायूसी के सिवा जीने को कोई और रंग, बचा ही नहीं इस जीवन में, कौन समझाए मेरे अपनों को जो बांध आए कई रंग के मन्नत के धागे। मिली साहा

By मिली साहा
 490


More hindi quote from मिली साहा
0 Likes   0 Comments
0 Likes   0 Comments
0 Likes   0 Comments
0 Likes   0 Comments
0 Likes   0 Comments