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खुद को भुला...

खुद को भुला कर जो हमारी आंँखों के सपने संजोती छाया बन सदैव रहती साथ, जीवन की धूप से बचाती जाने कितनी ही रातें जगती, हमें मीठी नींद सुलाने को हांँ, वो मांँ होती है, जो औलाद के लिए सब सह जाती। मिली साहा

By मिली साहा
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