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जो कभी...

जो कभी अपनों से बढ़कर थे अजनबी से लगने लगे, जिनके लिए खुद को भुलाया, वही पराया कहने लगे, टूटा विश्वास, बिखरे एहसास, कोई नहीं अपना साथ, ज़िंदगी के उपवन में खुशियों के फूल भी मुरझाने लगे। मिली साहा

By मिली साहा
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