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जिस राष्ट्र में हिन्दी की उत्पत्ति और विकास हुआ,
जहाँ हिन्दी जन-जन की भाषा है,
पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण सम्पूर्ण राष्ट्र को एक स्वर में पिरोने के गुण वाली एक मात्र भाषा हिन्दी ही है।
वहाँ हिन्दी की उपेक्षा सोचने पर मजबूर कर देती है।
अंकिता भदौरिया
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