“
जिन्हें अब मेरी ज़रूरत नहीं रही
उनके पीछे क्यों समय अपना बर्बाद करूंँ
केवल स्वार्थ के लिए उन्होंने निभाया रिश्ता
तो मैं भी क्यों उस झूठे रिश्ते का लिहाज़ करूँ
वैसे भी इंतजार उसका जिसके आने की उम्मीद
जिस राह तुम अजनबी हो गए मैं क्यों उस राह चलूँ।
मिली साहा
”