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ज़िन्दग...
ज़िन्दगी कुछ इस...
ज़िन्दगी...
“
ज़िन्दगी कुछ इस क़दर ढलती रही
मैं फ़िज़ा की गोद में पलती रही
मुश्किलों ने आ दबोचा जब मुझे
थाम उँगली बस तेरी चलती रही
@ #डॉ० प्रतिभा ‘माही’ शिवपिया
”
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