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जीवन के अब...

जीवन के अब तक के सफ़र में इतना तो समझ आ गया है कि हर मुस्कुराहट की यहां कीमत चुकानी पड़ती है, यूं ही नहीं खुशियां आकर गिरती हैं झोली में, बंद दरवाजे में पड़ी खुशियों की चाबी ढूंढनी पड़ती है।। मिली साहा

By मिली साहा
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