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जापान जापानी भाषा को, चीन चीनी भाषा को, अरब राष्ट्र अरबी भाषा और यूरोपीय और अमेरिकी राष्ट्र अंग्रेजी को सम्मान और राष्ट्रभाषा के रूप में मान्यता देते हैं तो हम हिन्दी को क्यों नहीं?
हिन्दुस्तान में हिन्दी को ससम्मान सहर्ष क्यों नहीं अपनाया जा सकता।
विचार कीजिये, तर्क -वितर्क कीजिये, बस कुतर्कों से बचने का प्रयास कीजिये।
अंकिता भदौरिया
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