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जान गया था...

जान गया था तेरी सच्चाई फिर भी तेरे झूठ पर करता रहा ऐतवार, झूठी तेरी मोहब्बत, झूठे तेरे वादे,पर मैंने तो किया था सच्चा प्यार, एक आस थी दिल में शायद तुम लौट आओ मेरी ज़िंदगी की राह में, तेरा साथ पाकर भी मैं अकेला था मेरी आस को छला तूने हर बार, पलकों में जो दिए तूने खूबसूरत ख़्वाब वो भी तो साजिश थी तेरी, जब मोहब्बत थी ही नहीं, तो क्यों किया तूने प्यार का झूठा इज़हार। मिली साहा

By मिली साहा
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