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ज़िन्दगी...

ज़िन्दगी ऐसे मोड़ पे है जहां बस निराशा की धुंध छाई है, हताश मन मेरा किधर जाए ये कैसी उलझन बन आई है, ज़िन्दगी भी हर मोड़ पे लेती है जाने कैसे कैसे इम्तिहान, सब कुछ तो छूट चुका पीछे अब साथ मेरे बस तन्हाई है। मिली साहा

By मिली साहा
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