“
हसरते भी टूटी
सपनों के समंदर में हज़ारों तूफान भी आए
अपने भी मुझसे रूठे
कर्तव्यों के पथ पर कई ऐरावत भी आए
वेदनाओं की लपटों ने प्रबल प्रयत्न से
मेरे बड़ते कदम भी झुलसाए
गिरकर उठा हूं
कुछ कदम चल फिर से गिरा हूं
जख्मों से लिपटे मेरे मन को जीत का
आज भी यकीन है
जिंदगी तू फिर भी हसीन है
अपने होने पे मुझे आज भी यकीन है
”