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हमारे अन्दर...

हमारे अन्दर अच्छाई और बुराई दो पहलू है परन्तु जिसका प्रयोग हम अधिक करते हैं, वही निखर के सामने आता है और उसी से हमारा व्यक्तित्व बनता है। @ आकांक्षा

By AKANKSHA VERMA
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