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घर की...

घर की बुनियाद जब धीरे धीरे ढलती है.. तब इंसानी रिश्ते इंसानी ज़ज्बात.. सब समक्ष आ खड़ा हो जाता है... रह जाती हैं तो बस उस पत्थर रूपी बुनियाद की असहाई नजरें.. . असहाय पांव.. बोझिल शारीर.. और आत्मा.. #soniasdiary

By Sonias Diary
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