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एक तलाश थी...

एक तलाश थी मेरी आंँखों में जो आज खत्म हो गई, मिलकर आप से, ज़िन्दगी की दहलीज़ रोशन हो गई, तन्हा इस सफ़र में तूने हाथ जो आकर थाम लिया है, कशमकश से गुज़र रही ये ज़िंदगी मेरी जन्नत हो गई। मिली साहा

By मिली साहा
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