“
एक तेरा इंतजार करते करते,
हम शायर हो गए।
दिल का ख़याल कैसे सुनाते किसी को,
बदकिस्मती से कायर हो गए।
एक ही तो चुराई बरसात की रात तेरे संग,
क्या बुरा किया जो बदनाम बेघर हो गए।
जिक्र मैं नही करता बस बारहा होता रहा,
पता नही कब मेरे आंसू तेरे नौकर हो गए।
दीदार का कोई पल अब कहाँ रहा बाकी,
जबसे तुम किसी अमीर का जेवर हो गए।
शर्माजी के शब्द
”