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एक पल भी...

एक पल भी रहना जिसे गंवारा ना था मेरे बिन, वो हर लम्हा जाने क्यों मुझसे नजरें चुरा रहा है। आंखों में जो दिख रहा है वो उसके लबों पर नहीं, मानो उसके दिल में मैं नहीं कोई और बस रहा है। मिली साहा

By मिली साहा
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