“
एक महिला को तों लोग
छोटी सोच में कैद करतें हैं
उसकी हस्ती को मिटाने में
कोई कसर ना छोड़तें हैं
सिर्फ़ दिखावें के लिए
देवी बनाकर पूजतें हैं
उसकें भी कुछ सपनें हैं
क्यूं रौंदतें उसके अपने हैं
अगर सचमुच करतें हो
हर नारी का सम्मान
पहले जीतों उसका मन
फिर कहलाओं सही इंसान
महिलाओं चलों उठो अपना
अस्तित्व संभालों
हर दिन महिला दिवस मना लों
”