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दुनिया अलग...

दुनिया अलग लगती थी जब हम छोटे बच्चे थे, बचपन की वो दुनिया और रंग-बिरंगे किस्से थे, उड़ते तितलियों की तरह न ग़म न कोई उलझन, किसी से गिला-शिकवा नहीं मन हमारे सच्चे थे। मिली साहा

By मिली साहा
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