STORYMIRROR

धनुष से...

धनुष से छूटता है बाण, कब पथ में ठहरता। देखते ही देखते लक्ष्य का ही भेद करता। लक्ष्य प्रेरित बाण है हम, ठहरने का काम कैसा। लक्ष्य तक पहुंचे बिना, पथ में पथिक विश्राम कैसा।

By VISHAL SINGH
 404


More hindi quote from VISHAL SINGH
30 Likes   0 Comments
24 Likes   0 Comments
17 Likes   0 Comments
19 Likes   0 Comments
17 Likes   0 Comments