“
ढूंढ लेने दो मुझे मेरी मंजिल का पता
नही तो उम्र बीतेगी औरों के निशानों पर चलते चलते
ढब पसंद नही, किसी को ढंग बदलना है मेरा
सुनी इनकी, खुद खुद नही रह जाऊंगा बदलते बदलते
फिक्र करना छोड़ना ही होगा दुनिया की वरना
मैं गुजर ही जाऊंगा तौर तरीके तय करते करते
कारवाँ कितनो का था और कितने साथ में थे
वक़्त खुद आईना दिखा देगा मेरी शाम ढलते ढलते
#शर्माजी के शब्द
”