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दायरे… ‘तुम...

दायरे… ‘तुम’ मुझसे अल्फाजों को दायरे में बाँधने की ज़िद ना करो लंबी खामोशी के बाद बड़ी मुश्किलों से मैंने ज़ुबाँ खोली है…. – ✍️देवश्री पारीक ‘अर्पिता’

By DEVSHREE PAREEK
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