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*चौंकना...
*चौंकना*
यूं ही...
*चौंकना*
यूं...
“
*चौंकना*
यूं ही कभी बहती पुरवाई
जब गुज़र जाती है मेरे
बदन को छू कर,
# चौंक जाती हूं ऐसे जैसे
हौले से छू लिया हो आपने मुझे।
- तेजस्विनी कुमारी
”
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