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बात...
बात कड़वी है मगर...
बात कड़वी...
“
बात कड़वी है मगर सच्ची है
उधार दीजिए मगर सोच समझकर,
अपने ही पैसे भिखारी बनकर मांगने पड़ते हैं, और अगला सेठ बनकर तारीख पर तारीख ही रहता है।
”
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