“
ऐसे भी मुझे तराशने की हर बार कोशिशें तेरी,
मैं चाहती ही नहीं नाकाम तुझे करना |
वाकिफ हूँ मैं तेरे इरादों से,
हर बार मुझे आसमाँ पे लाके
बिना पखों का छोड़ना |
तू मेरी काबिलियत से मुझसे ज़्यादा वाकिफ है,
मैं चाहती ही नहीं कभी तेरे इस भरोसे को तोड़ना |
-स्नेहा
”