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कलंक

By हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

 inspirational   mystery   romance 
कलंक : सुहानी
भाग 2
भाग 3.
भाग 4.
भाग 5
भाग 6. पिंजरा
7. षड़यंत्र और वासना
8. बुखार
9. अनवर
10. प्रेम की फुहारें
11. एक वचन, एक व्रत
12. एक छांव की तलाश
13. चुप्पियों के पार
14. आहटों की रात
15. वो थप्पड़
16. खामोशी की चीख
17. अंतहीन खामोशी
18. राख से उठती एक चिंगारी
19. नई शुरुआत, नई चुनौतियां
20. विषैली मुस्कान और टूटते विश्वास
21. बादल, बिजली और टूटे सपने
22. कलंकित सफेद कोट और स्त्रीत्व
23. विवशता का विलाप
24. स्मृति विहीन पंछी
25. ढहता साम्राज्य
26. विद्रोह की कोख
27. क्रोध की ज्वाला , करुणा का सावन
28. अंधेरे का सहारा
29. विश्वास का वध
30. अज्ञात भूत
31. स्मृति का संगम
32. पलायनम्
33. संवेदना का संधि क्षण
34. नृशंसता का नंगा नाच
35. मातृ आशीर्वाद की छांव
36. अनामिका
37. आशा भरी सुबह
38. प्रथम आलिंगन
39. दिव्यांशु की तलाश
40. आत्मीयता का भोज
41. देवता
42. प्रेम का अंकुर
43. अदृश्य प्यास
44. फर्ज
45. आशा की किरण
46. मृगतृष्णा
47. मृगतृष्णा की छाया
48. आनंद की किरणें
49. मुंबई की तलाश
50. मणिपाल अस्पताल
51. बेकरारी की इन्तेहा और जन्म का दर्द
52. दुर्घटना की करुण यंत्रणा
53. ईश्वरीय चमत्कार
54. कशमकश
55. त्रासदी की त्रिवेणी
56. समाधान
57. प्रेम और प्रपंच
58. मौत का खेल
59. करुणा की बरसात
60. प्रतिशोध की ज्वाला
61. पुरानी यादों की छाया
62. भोग विलास की दासी
63. मौत का ताण्डव
64. साजिश के धागे
65. मौत का भोज
66. न्यायालयों की फीकी पड़ती चमक
67. सरकारी वकील की बेतुकी दलीलें
68. प्रवेश की धारदार बहस
69. सत्य का द्वंद्व और न्याय की छाया
70. आत्मा की आवाज
71 (अंतिम भाग) : न्याय