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हम ज़िंदगी में चाहे जितना भी रास्ता तय कर लें, लेकिन फिर दोबारा किसी न किसी मोड़ पर वो शक्स ज़रूर याद आता है, जिसको आपने बहुत चाहा हो और फिर वो कभी हासिल ही न हुआ हो। इस एक हसरत का आंचल आंखों को इस तरह से ढक देता है मानो जैसे अब ज़िंदगी से कोई और ख्वाइश बाकी न हो।
इसीलिए बातें सब से हों बस जज़्बात किसी से भी जाहिर न हों तो अच्छा है। कुछ बातें लाख चाहने पर भी दिल से नहीं निकलती।
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