Sakshi Katrauliya
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फूलों का था , हीरों का नहीं। अलग दास्तान ब्यान करता था। शायद इसलिए उसे इन फूलों में भी सुकून मिल रहा था।

लकीरें भी साथ देंगी सपने भी पूरे होंगे बस हौसला रख यारा, रब रखा है। तकदीर है तेरी, मेहनत करता चल, यूंही बढ़ता चल नसीब में सब लिखा जाएगा।

मोहब्बत वह नहीं जो गुलाम बना दे। यह तो वह पारी है जनाब, जो गुलाम को भी हुकुम का इक्का बना दे।

जिसकी रूह की खबर तक रखते थे हम। आज उसके होने, ना होने की खबर तक नहीं।


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