@pushpraj-singh-rajawat

Pushpraj Singh Rajawat
Literary Colonel
AUTHOR OF THE YEAR 2020,2021 - NOMINEE

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"गाँव के मोगली से शुरू सफ़र शक्तिमान सा घूमता और अंधेरे से लड़ता हुआ लेफ्टिनेंट शेरगिल तक गया फिर थोड़ा ठहरकर ब्रूसली और टॉम क्रूज भी बना। प्रेमचंद मन में से प्रेम जुदा हुआ और केवल चंद बचा फिर जाकर मिर्ज़ा ग़ालिब और गुलज़ार के चमन के गुलों की शक़्ल इख़्तियार कर गया। सफ़र अभी बाकी है ..... और वो जो... Read more

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एक जमींदोज दरिया, शहर–ए –मोहनजोदड़ो से भी कभी गुजरता था शायद।

जिस नाम से तुम बुलाती थी, वो नाम अब मेरा तख़ल्लुस बन गया है!

जो पूंछा उन्होंने क्यों जा रहे हो मरने वतन के लिए हमने मुस्कुराकर कहा, तिरंगा मिल रहा है क़फ़न के लिए।

मैं ख्वाबों में जीता था और वो हकीक़त में, अब वो ख़्वाबों में जिंदा है और मैं हकीक़त में।।

रेनकोट और माचिस रख लेना। ये भीगी लकड़ियां जल नहीं सकती, बस सुलगती रहेगी.... तुम धुएँ से हाँथ सेंक लेना। रेनकोट और माचिस रख लेना।


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