मेरी लिखावट मुझे बयां करती है तुम समझ सको यह जरूरी नहीं मेरी राह ही कुछ अजीब है सीधे रस्ते की यह टेढ़ी चाल है समझ सको तो समझ लो यह सीधी बात है
स्वभाव मे पाणी जैसे साधगी हो, की लोगो को आप के होणे का ऐहसास भले ना हो , पर आप के ना होणे से उनका वजूद ही ना हो |