jitendra kumar sarkar
Literary Lieutenant
6
Posts
0
Followers
0
Following

I'm jitendra kumar and I love to read StoryMirror contents.

Share with friends
Earned badges
See all

मैं अलसुबह उस घड़े में प्रेम रस की ठण्डी जलधारा डालता हूं। किंतु नई सुबह उस घड़े से मुझे नफ़रती जलधारा के अंगारे पीने को मिलते है।

लोहे का चुम्बक से रिश्ता बहुत गहरा रहा है, इसलिए ये जब पास होते है तो ये शीघ्र ही चिपक जाते है! जब एक बार ये दूर हो जाते है तो ये एक दूसरे को अपनी और खिंचने की जगह इनमें उतना ही तेज गति से दूरी पैदा होती है! ठीक गुरूत्वाकर्षण बल की तरह! इसी प्रकार हमारे रिश्ते होतेहैं जो जिसका जितना खास होता है एक दिन उनमें उतनी ही तेज भिडंत होती है!


Feed

Library

Write

Notification
Profile