जगत कुछ ओ२नहीं
केवल जनो का मेल है
२िश्ते नाते कुछ ओर नहीं
केवल पैसे का खेल है
. धन सचय करने वाले भी गवाह है
धन एक हस्तारित प्रवाह है
नाम सिमरन ही सबसे बड़ा धन है
जप लेता है जो
खुशनसीब वो जन है
सस्कृत की लाड़ली बेटी
सुन्दर, मनोरम, मीठी, सरल हे हिन्दी
कवि सूर सागर की गागर
साहित्य का असीम सागर है हिन्दी
यूॅ ती देश में भाषाए बहुत है
पर २ाष्ट्र के माथे की बिदी है
------- बिंदी है ये हिन्दी
भावों का ये गीत है
सुर ताल का मीत है
ये शास्त्रीय संगीत - है
कह दो झूठे लोगों से
अपने दायरे में २हे
हमारे मन के किसी कोने में
उनके लिए कोई स्थान नही
हम तूफानों के संघर्ष में बन के चट्टान क्या खड़े रहे
के कुछ कम्बक्त लोगो ने पत्थर ही समझ लिया
ए खुदा कर दे वाजिब हिसाब इसी जन्म में ही वरना अगले जन्म लेने की फुर्सत किसे है