मैं एक गृहणी हूं, इंजीनियरिंग में स्नातक और हिंदी से परास्नातक की शिक्षा ली है, साहित्य में रूचि है, पढना और लिखना दोनो पसंद है..!!
Share with friendsमन को क्या हुआ है.. क्या वही है ये... जो कल तक शांति सुकून के लिए , घर का कोई कोना तलाशता रहता था, अब बार बार बाहर को झांकता रहता है, छत पर जाकर निहारता है सूनी सडके ... जाने अनजाने निषेध ही चुनता है...!!
जाने कितने गिले शिकवे मैने रोक रखे हैं.. होठो के उस पार मन है.. तुझसे झगडा कोई बडा करूं शर्त मगर वही छोटी है... झगडने के बाद तू गले से लगा लेना..।।
मासूम और, भोला-भाला.. बाल मन, सुन्दर और प्यारा प्यारा.. करता नादानियां, ढेर सारी.. लेकिन चालाकी पर इसकी होता ताला.. सोच समझकर तुम इनसे व्यवहार करो, देश के लिए अच्छे नागरिक तैयार करो..। !