I'm Shilpi and I love to read StoryMirror contents.
Share with friendsरंग बदलती इस दुनिया में लोगों को गिरगिट से भी तेज रंग बदलते देखा, ना पहचान पाए तो उनके चेहरे का मुखौटा जो शायद वो खुद भी भूल गये असली कौन सा है।
हर तरफ है उजियारा मन में अथाह अंधेरा है। ऊँची डाल पर बैठा पंछी मेरे मन की तरह अकेला है।। आओ तुम-हम मिलकर यह अकेलापन बाँट लें, या तो मुझको ले चल उस डाल पर या मेरे मन के अंधियारे की तू थाह ले।
प्रकृति को प्रेम दोगे तो बदले में जीवन मिलेगा,अगर प्रकृति संग खिलवाड़ करोगे तो सर्वनाश का सामना करना पड़ेगा।