तेरी सूरत को आँखों में छुपाए बैठे हैं तेरी मुस्कान को होंठों से लगाए बैठे हैं एक झलक को तेरी यूँ तरसी है नज़र जैसे सावन से मिलने किसी प्यासे का सफ़र
उसकी ही बातें बस उसके ही नग़मे दिल पर मेरे कुछ ऐसे है वो छाए सन्नाटे में भी उनका गुनगुना सुनता है ये कैसे दीवानेपन के मोड़ पर हम हैं आए
तेरे क़दमों की आहट सुनी तो दिल में झंकार हुई बरसो से सोए अरमानो में हलचल फिर एक बार हुई मन के समंदर में सूखा सा था बरसो से लहरो की खलखल फिर एक बार हुई