Antima Singh
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छोटा है घर मेरा तो क्या हुआ । दरवाजे अपनो के लिए हमेशा खुले रहते हैं मेरे अपने ही न जाने क्यों फिर भी मुझसे दूर रहते है अन्तिमा सिंह

समान से भरा घर कहां पूरा लगता है । जिस घर में मातापिता न हो वो घर अधूरा लगता है । अन्तिमा सिंह

सारी दुनिया ने सिर्फ मतलब के लिए पुकारा मुझे । एक मेरे घर का दरवाजा ही था जिसने हमेशा बिना किसी स्वार्थ के दिल खोल कर बुलाया मुझे । अन्तिमा सिंह

दीवारें भी बोलती हैं उस घर की जिस घर मे प्यार, सुकून, और अपनों का साथ होता है । अन्तिमा सिंह

संगमरमर के पत्थरो से , महंगी पेंटिंग से आलीशान सोफों से चमचमाते परदों से चमकते फर्श से घर की कोई कीमत नही होती जिस घर में इंसान नही वो घर बेजान पुतले के समान है । अन्तिमा सिंह

सारी दुनिया की सैर करके देख लिया पर सुकून घर की चार दिवारी में ही मिला । नींद न आई मखमली गद्दों पर .. चैन माँ की गोद में ही मिला । अन्तिमा सिंह

जिंदगी के मुश्किल दिनों से कभी निराश न हो क्योंकि तेज गर्मी के बाद बरसात जरूर आती है दुखों को पकड़ कर बैठने से अच्छा है दुख से उबरने के रास्ते तलाशें । अन्तिमा सिंह

जिंदगी क्या है ? जिंदगी एक कहानियो की किताब है जिसमे नए अध्याय रोज जुड़ते जाते हैं और हम अपने अनुभवों से जिंदगी को जीने का सही तरीका सीखते जाते हैं अन्तिमा सिंह

जिंदगी के छोटे छोटे पलों को खुश होकर जियो दूसरों की जिंदगी से अपनी कोई तुलना न करें । अपनी जिंदगी को निराशा से दूर रखकर हर पल सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़े। अन्तिमा सिंह


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