क्या क्या हम पर न बीती तुमसे दिल लग जाने के बाद
जल उठा ये शहर, हमारे घर में आग लग जाने के बाद
लहू निकल रहा हैं चेहरे की हर नस से
जंग में टूट कर जमीं पर गिर पड़े हैं हम
साँसे उड़ा रही हैं धूल के गुब्बारें
जिंदगी बाकी हैं, अभी हारे नहीं हैं हम
इतने सालों, तुझे किश्तों में भुलाया हमने
इश्क़ का ये कर्ज मुश्किलो से चुकाया हमने
बनारस के किसी घाट पर चिता जली
अपनी राख को खुद गंगा में बहाया हमने