अपार संभावनाएं हमारी दृष्टिकोण जागृत रखती है,
नियति का संचालन हमारी दृष्टि रचती है।
ख्वाबों की असमंजस में खुद पे मैं शक करता रह गया,
गुज़रे हुए पल की आमोद को लुभाने का हक़ खो दिया |
जाने किस गति में हम यू ही लिप्त हो गए,
हक़ीक़त के सिलसिले से हम अलिप्त हो गए।।
जगमगाती सितारों की तलाश हमें ललकारती है,
डगमगाती हौसलों में उत्पन्न जज़्बा हमें झंकारती है।।
जाने किस गति में हम यू ही लिप्त हो गए,
हक़ीक़त के सिलसिले से हम अलिप्त हो गए।।
ज़िन्दगी बड़ी ज़ालिम है,
अड़चने इसमें शामिल है।