Prem Kumar Shaw
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मैंने भी प्यार किया है। एक ऐसा प्यार जिसमें हर आशिक की तरह दर्द है। बस थोड़ा अंतर है वह दर्द मेरी कमजोरी नहीं वरन् शक्ति है... अपने उन्हीं दर्द को शब्द देने का प्रयास करता हूँ।।

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उनके गलियों में हम बेवजह जाया करते थे एक दिन उनका दीदार हुआ और मुझे वह वजह मिल गई जिनके लिए अब हम हर रोज़ जाया करते हैं।

मेरे वें सभी भाव अब चुप हो गए हैं ... जो तुम्हारी आहट से ही शब्दबद्ध हो जाया करती थी।।😓 © प्रेम

"वक्त ने क्या शिकस्त दी है मनुष्यों को इसकी नाज़ो-अंदाज तो देखो .... स्वयं अपने मुताबिक चल रहा पर इन्हें स्वयं से बहुत पीछे छोड़ दिया है" © प्रेम

शोहरत में डूबी इस जहाँ' को क्या हो गया🤷‍♂️ हम जहाँ थे वहीं है अचानक ये शहर को क्या हो गया 😔😔 © प्रेम

"जब-जब मैं तुम्हें स्वयं में साकार करने का प्रयत्न करता हूँ तब-तब एक गहरी निराशा मेरे हाथ लगती है ।।" © प्रेम

एक स्त्री के दर्द को समझें बिना एक पुरुष, पुरुष नहीं रहता वह निर्जीव रह जाता है...


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