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एक "शोर" सा था अंदर एक खामोशी लिए, मानो एक "रेगिस्तान" खड़ा नदी के आगे अपनी बेबसी लिए।
ऐ वक़्त बता तेरी रज़ा क्या है इन अंधेरों की खता क्या है, हैं ये तो वजूद है उजाले का वर्ना इन उजालों में भी रखा क्या है?